ज़िला कुल्लू के भुंतर के पिपलागे में बुधवार रात को नयना माता की जाग (उत्सव) मनाई गई। माता नयना की जाग में दहकते अंगारों पर माता के गूर और चेलियां गुजरे। बुधवार रात्रि जाग के चलते ढोल, नगाड़े और नरसिंगों की स्वरलहरियां गूंज उठीं। नयना माता की जाग में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े।
माता नयना माता के मंदिर में बुधवार दोपहर बाद से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। रात करीब 12 बजे तक यहां पर भजन-कीर्तन हुआ। मंदिर परिसर में एक जगह आग जलाई गई थी, आधी रात तक यहां पर सिर्फ दहकते अंगारे ही बचे थे। शीतला माता मंदिर से बुधवार रात करीब 12 बजे के बाद माता नयना अपने मंदिर में आईं तो माता की जय जयकार हो उठी।
दहकते अंगारों पर माता के गूर और चेलियां चलीं। श्रद्धालुओं ने माता नयना के समक्ष शीश नवाकर आशीर्वाद लिया। माता के पुजारी अमित महंत ने कहा कि माता शीतला, माता कोयला कलैहली और नागराणी माता थलौट के निशान (चिह्न) भी जाग में शामिल हुए थे। जाग के दौरान दहकते अंगारों पर गूर और चेलियां चलते हैं, लेकिन दैवीय शक्ति से किसी को चोट तक नहीं पहुंचती है। यह परीक्षा की घड़ी होती है।